
प्रशांत किशोर के भाजपा पर जन सुराज के उम्मीदवारों को बंधक बनान के आरोपर बीजेपी ने पलटवार किया है। मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि जब नेता ही मैदान छोड़ दे, तो उनके कार्यकर्ता कितनी देर मैदान में टिकेंगे। पीके खुद ही चुनाव से पहले ही भाग गए हैं।
जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया है कि भाजपा उसके उम्मीदवारों को बंधक बना रही है। दबाव में उन्हें या तो नामांकन नहीं करने दिया जा रहा है या फिर जबरदस्ती नामांकन वापस कराए जा रहे हैं। जिस पर बीजेपी ने पलटवार किया है। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि जब नेता ही मैदान छोड़ दे, तो उनके कार्यकर्ता कितनी देर मैदान में टिकेंगे। प्रशांत किशोर खुद ही चुनाव से पहले ही भाग गए हैं। इसलिए उनकी पार्टी के उम्मीदवार भी अब मैदान छोड़ रहे हैं।
बीजेपी के तरफ से ये बताया गया कि प्रशांत किशोर हारने के डर से बहाना बना रहे है कि मुझे पार्टी ने व्यवस्था सँभालने का भर दिया है. पर ऐसा कोई भी पार्टी नहीं है जिसमे घर का मुखिया ही पीछे हट जाय!

प्रशांत किशोर ने हाल ही में घोषित किया है कि वह आगामी 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में स्वयं उम्मीदवार नहीं होंगे। ऐसे कई कारण सामने आए हैं — नीचे उनके प्रमुख कारण दिए गए हैं:
पार्टी संगठन पर ध्यान उन्होंने कहा है कि “पार्टी ने तय किया है कि मुझे चुनाव नहीं लड़ना है बल्कि संगठनात्मक काम करना है।” उमीदवारों का समर्थन उन्होंने कहा कि अगर मैं चुनाव लड़ूंगा, तो 2-5 दिन का समय जाता, जिससे अन्य पार्टी के उम्मीदवारों को नुकसान हो सकता है। हार का जोखिम / जमीन की परिस्थिति विश्लेषकों के अनुसार, उन्होंने महसूस किया होगा कि चुनाव लड़ना उनके लिए, या उनकी पार्टी के लिए, अभी लाभप्रद नहीं होगा।
रणनीतिक फैसला यह भी माना जा रहा है कि उन्होंने यह कदम इस उम्मीद से उठाया है कि “चुनावी मोर्चे” में पूरी तरह उतरने से पहले पार्टी का आधार मजबूत करना बेहतर रहेगा। क्या इसका मतलब यह है कि वे भविष्य में चुनाव नहीं लड़ेंगे?नहीं, इसका अर्थ यह नहीं कि वे कभी नहीं चुनाव लड़ेंगे। अभी के लिए उनका फोकस पार्टी को तैयार करना और संगठन बनाना है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह फैसला “बड़ा हित” (greater good) को ध्यान में रखकर लिया गया है।
निष्कर्ष
तो मुख्य बात यह है: उन्होंने चुनाव न लड़ने का कदम स्वेच्छा से लिया है, जो कि संगठन-स्तर पर एक रणनीतिक निर्णय माना जा रहा है — पहले पार्टी को सशक्त करना, उम्मीदवार तैयार करना, और मैदान की स्थिति को बेहतर समझना।
अगर चाहें, तो मैं यह भी देख सकता हूँ कि इस फैसले का उनके और उनकी पार्टी जन सुराज पार्टी पर क्या असर पड़ सकता है — क्या करना चाहेंगे?